विक्रय सम्वर्द्धन से आप क्या समझते है ? विक्रय सम्वर्द्धन की विधियों को संक्षेप में समझाइये।

0
185

विक्रय संवर्द्धन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Sales Promotion)

वर्तमान समय में माल या वस्तुओं का विक्रय करना काफी जटिल हो गया है, क्योंकि बाजार में एक ही वस्तु की कई स्थानापन्न वस्तुएँ उपलब्ध होने लगी हैं एवं बाजार में प्रतिस्पर्द्धा विद्यमान है। ऐसी स्थिति में किसी व्यावसायिक संस्था के अस्तित्व को स्थायी बनाये रखने हेतु विज्ञापन एवं व्यक्तिगत विक्रय के साथ-साथ विक्रय संवर्द्धन का अपना विशिष्ट महत्व है।

विक्रय संवर्द्धन से आशय ऐसी किसी भी युक्ति एवं क्रिया से है जो विक्रय वृद्धि में सहायक होती है। दूसरे शब्दों में, विक्रय संवर्द्धन से आशय उन समस्त क्रियाओं से है, जिसके द्वारा संस्था ग्राहकों का ध्यान अपने उत्पादन को क्रय करने हेतु आकर्षित करती है। ए. एच. आर. डिलेन्स (A. H. R. Delens) के अनुसार, “विक्रय सम्वर्द्धन से आशय उन कदमों से है जो व्यक्तिगत विक्रय एवं विज्ञापन के पूरक हैं और जिनके समन्वय से विक्रय बढ़ाने में सहायता मिलती हैं।”

जॉर्ज डब्ल्यू हॉपकिन्स (George W. Hopkins) के अनुसार, “विज्ञापन एवं विक्रय की प्रक्रियाओं को प्रभावशाली बनाने के लिए जिन संगठित प्रयासों की सहायता ली जाती है, उन्हें विक्रय • सम्वर्द्धन के नाम से सम्बोधित किया जाता है।” ल्यूक एवं जीगलर (Luick and Ziegler) के अनुसार, “विक्रय सम्वर्द्धन विपणन सम्वर्द्धन के उपकरण के रूप में वस्तु के प्रयोग में वृद्धि करता है और वस्तु के बाजार में विस्तार भी करता है या नहीं वस्तु के परिचय में वृद्धि करता है।”

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन (American Marketing Association) के अनुसार, “विक्रय सम्वर्द्धन में व्यक्तिगत विक्रय, विज्ञापन तथा प्रचार के अतिरिक्त वे सभी प्रक्रियाएँ आती है जो उपभोक्ता तथा विक्रेता की प्रभावशीलता को प्रोत्साहित करती हैं, जैसे-सजावट, दिखावा, प्रदर्शनी, क्रियात्मक प्रदर्शन तथा विभिन्न अप्रचलित विक्रय प्रयत्न जो दैनिक जीवन में नहीं किये जाते।”

इस प्रकार, विक्रय प्रवर्तन विज्ञापन तथा विक्रयकला का ही एक विस्तृत रूप है। विक्रय सम्वर्द्धन के अन्तर्गत विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय, उत्पाद में नवीनता लाना, विक्रय पुस्तिकाओं का प्रकाशन एवं वितरण, प्रदर्शनियों का आयोजन नमूनों का मुफ्त वितरण तथा अन्य प्रयत्न किये जाते हैं, जिनका उद्देश्य विक्रय वृद्धि करना है।

विक्रय सम्वर्द्धन की विशेषताएँ (Characteristics of Sales Promotion)

विक्रय सम्वर्द्धन की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं (1) विक्रय सम्वर्द्धन द्वारा ग्राहकों का ध्यान वस्तुओं को क्रय करने हेतु आकर्षित किया जाता है।

(2) विक्रय सम्वर्द्धन की क्रियाएँ वितरकों को उत्पादों का अधिक विक्रय करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

(3) विक्रय सम्वर्द्धन नवीन वस्तुओं का परिचय कराने के लिए किया जाता है।

(4) विक्रय सम्वर्द्धन में विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय को शामिल नहीं किया जाता है।

(5) विक्रय सम्वर्द्धन द्वारा मौसमी कमी के प्रभाव को कम करना होता है।

(6) विक्रय सम्बर्द्धन की क्रियाएँ व्यापार की दैनिक क्रियाएँ नहीं होती हैं, अपितु ये तो विशिष्ट अथवा अनियमित क्रियाएँ होती हैं जो विक्रय में वृद्धि करने हेतु विक्रय व्यूह रचना में सम्मिलित की जाती है।

(7) विक्रय सम्वर्द्धन में प्रदर्शन दिखाना, क्रियात्मक प्रदर्शन, मेलों में विक्रय प्रतियोगिता आदि को सम्मिलित किया जाता है। ये व्यापार के दैनिक कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हैं।

(8) विक्रय सम्वर्द्धन की क्रियाएँ विक्रेता को माल का अधिकारिक विक्रय करने के लिए प्रेरित करती है।

विक्रय सम्वर्द्धन के उद्देश्य (Objectives of Sales Promotion)

विक्रय सम्वर्द्धन के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार हैं

(1) नवीन वस्तुओं का परिचय देने के लिए-विक्रय सम्वर्द्धन का प्रमुख उद्देश्य सम्भावित ग्राहकों को नवीन उत्पादों या सेवाओं से परिचित कराना होता है। इस कार्य के लिए उपभोक्ताओं के उद्देश्य से मुफ्त नमूने व प्रीमियम वाली पद्धति और मध्यस्यों के उद्देश्यों से क्रय भत्ता वाली पद्धति अपनायी जा सकती है। इन उपायों से ग्राहकों को माल खरीदने के लिए उकसाया जाता है और मध्यस्थों को निर्माता की वस्तु अपनी दुकान पर रखने के लिए लालायित किया जा सकता है।

(2) नये ग्राहक बनाने के लिए विक्रय सम्बर्द्धन के द्वारा निर्माता नये ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश करता है। इसके लिए वह ग्राहकों को मुफ्त नमूने, भेंट, प्रतियोगिताओं के पुरस्कारों, प्रीमियम का प्रलोभन देता है। इन क्रियाओं से नये ग्राहक आकर्षित होते हैं। कुल ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होती है।

(3) वर्तमान ग्राहकों द्वारा उपयोग में वृद्धि के लिए वर्तमान की वस्तुओं व सेवाओं का वर्तमान में उपयोग करने वाले ग्राहकों को उपभोग की दर या मात्रा बढ़ाने के लिए भी विक्रय सम्वर्द्धन क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए वर्तमान ग्राहकों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिये जाते हैं, जैसे मूल्य में कमी, प्रीमियम पुरस्कार आदि वस्तु के नये उपयोग बताकर भी ग्राहकों के उपभोग की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

(4) मध्यस्थों से अधिक सहयोग प्राप्त करने के लिए निर्माता अपनी बिक्री तभी बढ़ा सकती है जब योक व फुटकर विक्रेताओं के पास उसकी वस्तुओं का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में हो मध्यस्थ वित्तीय साधनों की कमी के कारण पर्याप्त स्टॉक नहीं रख पाते। मध्यस्थों को अधिक भत्ता देकर या विक्रय सम्वर्द्धन के अन्य उपकरणों से अधिक स्टॉक रखने के लिए राजी किया जा सकता है।

(5) विक्रयकर्ताओं की बिक्री आसान करने के लिए विक्रय सम्बर्द्धन क्रियाओं से ग्राहक स्वयं वस्तु खरीदने के लिए उत्सुक सक्रिय रहता है, उसे माल बेचने के लिए विक्रेता को ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते। वितरक भी स्वयं माल का स्टॉक रखने लगते हैं और विक्रयकर्ता का काम आसान हो जाता है।

(6) प्रतियोगी के विक्रय सम्वर्द्धन कार्यों का प्रत्युत्तर देने के लिए जब कोई प्रतियोगी, निर्माता या वितरक अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए कोई विक्रय सम्वर्द्धन योजना शुरू करता है तो दूसरे निर्माताओं को भी वैसी ही योजनाएँ शुरू करनी पड़ती है। इससे वे अपने बाजार अंश या बिक्री को कम होने से बचा लेते हैं।

(7) मौसमी कमी को दूर करने के लिए कुछ वस्तुओं की मांग साल भर एक जैसी नहीं रहती। किसी खास मौसम में उनकी माँग सामान्य से अधिक होती हैं, जैसे-चाय और कॉफी की माँग भारत में जाड़ों में बढ़ जाती है और गर्मियों में घट जाती है। इसीलिए गर्मियों में चाय व कॉफी की कम्पनियाँ मुफ्त उपहार के रूप में ग्राहकों को देकर माँग बढ़ाने की कोशिश करती है।

(8) उपभोक्ताओं द्वारा क्रय की मात्रा बढ़ाने के लिए कुछ वस्तुएँ ऐसी होती है, जिन्हें देखकर उपभोक्ता खरीदने के लिए उतारू हो जाते हैं, जैसे-आइसक्रीम, पेपरबैक, पुस्तकें व पत्रिकाएँ आदि। विक्रय सम्वर्द्धन के अन्तर्गत ऐसी वस्तुओं को ऐसे खास स्थानों पर बेचने की व्यवस्था की जाती है। जहाँ ग्राहकों को तुरन्त उन्हें खरीदने के लिए आकर्षित किया जा सके।

विक्रय सम्वर्द्धन का महत्व एवं लाभ (Importance and Advantages of Sales Promotion)

विक्रय सम्वर्द्धन के महत्व एवं लाभों को हम निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत प्रकट कर सकते हैं

(1) विज्ञापन एवं व्यक्तिगत विक्रय की प्रभावशीलता में वृद्धि-विक्रय सम्वर्द्धन के साधन विज्ञापन एवं व्यक्तिगत विक्रय बहुत ही बड़ी सीमा तक विक्रय करते हैं, परन्तु जहाँ इनमें कमी रहती है, वहाँ विक्रय सम्वर्द्धन के साधन इसको पूरा कर देते हैं।

(2) व्यापारियों को प्रोत्साहन-विक्रय सम्वर्द्धन के साधनों से व्यापारी के विज्ञापन, प्रबन्ध एवं विक्रय सम्बन्धी सहायता प्राप्त होती है जो उसे अधिकाधिक माल विक्रय करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

(3) विक्रय में वृद्धि-विक्रय सम्वर्द्धन साधनों से विक्रय में वृद्धि होना स्वाभाविक है क्योंकि इससे विज्ञापन एवं व्यक्तिगत विक्रय की प्रभावशीलता बढ़ जाती है, जो स्वयं वृद्धि करने में सहायक है। व्यापार को प्रोत्साहन मिल जाने से और भी अधिक विक्रय-वृद्धि होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

(4) मध्यस्थों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ-मध्यस्थों को विक्रय सम्वर्द्धन की विभिन्न विधियों के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार से सहायता दी जाती है। उन्हें विज्ञापन सम्बन्धी एवं अन्य विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इस प्रकार उन्हें आसानी से बिना खर्च किये अथवा मामूली खर्च पर बहुत-सी सुविधाएँ उपलब्ध हो जाती हैं।

(5) नव-निर्मित वस्तुओं की माँग में वृद्धि-नव-निर्मित वस्तुओं की माँग उत्पन्न करने के लिए विक्रय सम्वर्द्धन के साधन रामबाण कहे जा सकते हैं। प्रीमियम एवं प्रतियोगिताएँ एवं नमूने कई वस्तुओं की बिक्री करने में सहायक सिद्ध हुए हैं।

(6) मौसमी वस्तुओं का सदैव विक्रय-विक्रय सम्वर्द्धन के साधन किसी मौसम विशेष में काम आने वाली वस्तुओं के विक्रय को स्थायी बना देते हैं अर्थात् इससे ऑफ सीजन विक्रय सरल हो जाता है।

(7) वस्तुओं के नये प्रयोग-विक्रय सम्वर्द्धन के साधन कभी-कभी वस्तुओं के नये प्रयोगों को प्रोत्साहन देते हैं। प्रतियोगिता के आधार पर तो कभी-कभी वस्तुओं के नये उपयोग के सुझाव आमन्त्रित किये जाते हैं।

(8) प्रतिस्पर्द्धा पर विजय-विक्रय सम्बर्द्धन के साधनों से क्रेता को वस्तु के क्रय के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए प्रीमियम या नमूने दिये जाते हैं, उसे विभिन्न साधनों से क्रय करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इससे प्रतिस्पर्द्धा में विजय पाना सरल हो जाता है।

(9) वस्तुओं में विश्वास जब उपभोक्ता को वस्तु के विक्रय से पूर्व नमूने वितरित कर दिये जाते हैं तो उपभोक्ता का वस्तुओं के क्रय से पूर्व ही उसमें विश्वास उत्पन्न हो जाता है।

(10) कम विक्रय वाले क्षेत्रों में वृद्धि-विक्रय सम्वर्द्धन के साधन कम विक्रय वाले क्षेत्रों में विक्रय वृद्धि करने में सहायक होते हैं। जिन क्षेत्रों में विक्रय कम होता है, वहाँ विक्रय संवर्द्धन की विधियों के प्रयोग से विक्रय वृद्धि करना सरल होता है।

(11) ज्ञान वृद्धि करना-विक्रय वृद्धि के साधनों के प्रयोग से उपभोक्ता, व्यापारी और उनके विक्रयकर्ताओं सभी के ज्ञान में वृद्धि होती है। उपभोक्ता नई वस्तुओं के प्रयोग से परिचित होता है। क्रियात्मक प्रदर्शनों के आधार पर वह वस्तु की गहनता समझ सकता है। प्रतियोगिता में भाग लेने से ज्ञान में वृद्धि स्वाभाविक है।

(12) सामाजिक जीवन स्तर में वृद्धि वस्तुओं की मांग बढ़ जाने से रोजगार के साधन बढ़ जाते हैं। इनसे वस्तुओं की माँग बढ़ती है और उत्पादन अधिक होता है। अतः इससे सामाजिक जीवन स्तर में वृद्धि होती है।

विक्रय सम्वर्द्धन की विधियाँ या प्रकार (Methods of Types of Sales Promotion)

विक्रय सम्बर्द्धन की विधियों को निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है

(A) उपभोक्ता सम्वर्द्धन विधियाँ उपभोक्ता सम्वर्द्धन विधियों से आशय ऐसी विधियों से है, जो प्रत्यक्ष रूप में उपभोक्ताओं को उत्पादों की अधिक-से-अधिक मात्रा को क्रय करने के लिए प्रेरित करती हैं। इसकी निम्नांकित विधियाँ है

(1) नमूने (Samples) – इस उपाय में वस्तु के छोटे-छोटे सैम्पिल पैक तैयार किये जाते हैं और उपभोक्ताओं को यह अवसर प्रदान किया जाता है कि वे निःशुल्क नमूने का प्रयोग करके उत्पाद के बारे में जानकारी कर सकें तथा दूसरी संस्था की बनी वस्तुओं से तुलना कर सकें। जब उपभोक्ता नमूनों की जाँच से विश्वस्त हो जाते हैं, तो वे माल का क्रय अधिक विश्वास के साथ करते हैं। नमूनों का वितरण उपभोक्ताओं के घर पर या कार्यालय में पहुँचकर वितरण किया जाता है। मेलों, प्रदर्शनियों, त्यौहारों पर भी नमूनों का वितरण किया जा सकता है। कभी-कभी कम्पनी के व्यक्ति सड़कों के किनारे खड़े होकर भी नमूनों का वितरण करते हैं। इसके अतिरिक्त डाक द्वारा भी नमूनों का वितरण किया जाता है। नमूनों पर ‘बिक्री के लिए नहीं’ (Note for sale) शब्द लिख देना चाहिए।

(2) कूपन (Coupons) इस उपाय में सम्भावित ग्राहकों तक कूपन भिजवाने की व्यवस्था की जाती है और उन कूपनों के आधार पर ग्राहक को यह प्रेरणा दी जाती है कि वह वस्तु को निःशुल्क या रियायती मूल्यों पर प्राप्त कर सके।

(3) मूल्य में कमी (Reduction in Price)-विक्रय सम्बर्द्धन का यह बड़ा ही सामान्य तरीका है, जिसमें मूल्य में कमी या छूट के आकर्षण के आधार पर क्रेता को माल क्रय करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जैसे-गाँधी जयन्ती के अवसर पर खादी के कपड़ों पर 20% की छूट ऑफ सीजन डिस्काउण्ट इत्यादि।

(4) प्रीमियम (Premium) इसमें किसी वस्तु की एक निश्चत मात्रा क्रय करने पर कम्पनी अपने किसी अन्य उत्पाद को निःशुल्क प्रदान करती है, जिससे अन्य उत्पाद को लोकप्रिय बनाया जा सके, जैसे-सर्फ के तीन डिब्बों के साथ प्लास्टिक की एक बाल्टी मुफ्त प्रीमियम के लालच से व्यक्ति अनायास ही वस्तु क्रय करने के लिए तैयार हो जाता है। इससे विक्रय की मात्रा में भारी वृद्धि होती है। भारत में विक्रय सम्वर्द्धन की विधि अधिक लोकप्रिय होती जा रही है।

(5) प्रतियोगिताएँ (Contests) – उपभोक्ताओं की दृष्टि से प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है, जैसे-खेलों के नाम बताओ प्रतियोगिता या वस्तु से सम्बन्धित वाक्य पूरा कीजिए-“मैं गोल्ड स्पॉट पीता हूँ, क्योंकि ” या वस्तु के बारे एक पत्र लिखना या वस्तु के नाम का सुझाव या पहेलियों को हल करना अथवा रेडियो या टेलीविजन विज्ञापन या कार्यक्रमों हेतु सामग्री देना आदि।

(6) विक्रयशाला की सजावट ग्राहक विक्रयशाला में सर्वप्रथम एक दर्शक के रूप में प्रवेश करता है और इसके अन्दर जब वह किसी वस्तु की ओर आकर्षित होता है, तो क्रय करता है। अतः विक्रयशाला की साज-सज्जा उसके ध्यान को आकर्षित करने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। (B) व्यापारी या वितरक की दृष्टि से विक्रय सम्वर्द्धन विधियाँ इन विधियों से आशय उन समस्त विधियों से है जो प्रत्यक्ष रूप में वितरकों, व्यापारियों को, उत्पादकों की वस्तुओं को अधिक से अधिक मात्रा को क्रय करने के लिए प्रेरित करती है। वितरक या व्यापारी सम्बर्द्धन की प्रमुख विधियाँ अग्रलिखित हैं

(1) डीलर सूची (Dealer Listing)-बड़े-बड़े उत्पादक विज्ञापनों में अपने उत्पादों के विज्ञापन के साथ ही अपने डीलरों या एजेण्टों के नाम छपवाते हैं। इससे डीलरों को माल बेचने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।

(2) विज्ञापन एवं प्रदर्शन भत्ता-मध्यस्थों द्वारा माल विक्रय को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक उत्पादकों द्वारा उन्हें विज्ञापन एवं प्रदर्शन भत्ता दिया जाता है, जिसके आधार पर मध्यस्थ अपने क्षेत्र में माल का विज्ञापन कर सकें तथा अपने शोरूम में माल का उचित एवं प्रभावशाली प्रदर्शन कर सकें।

(3) मुफ्त माल (Free Goods) इसके अन्तर्गत मध्यस्थों द्वारा एक निश्चित मात्रा में माल क्रय किये जाने पर कुछ माल अतिरिक्त निःशुल्क प्रदान किया जाता है, जैसे-लाइफबॉय साबुन की बीस पेटी खरीदने पर एक पेटी निःशुल्क प्रदान करना।

(4) माल के साथ इनाम-निर्धारित मात्रा में मध्यस्थों द्वारा माल क्रय करने पर उन्हें विभिन्न प्रकार के इनामों का आकर्षण दिया जाता है, जैसे-बाल जीवन घुट्टी की 20 पेटी पर एक साइकिल, 10 पेटी पर एक प्रेस्टीज प्रेशर कुकर तथा 5 पेटी पर स्टील थाल मुफ्त आदि।

(5) छूट या भत्ता (Allowance) इस योजना के अन्तर्गत एक निश्चित अवधि में मध्यस्थों द्वारा विक्रय किये गये माल की कुल मात्रा पर विशेष कमीशन या छूट प्रदान की जाती है।

(C) विक्रय शक्ति की दृष्टि से विक्रय सम्बर्द्धन की विधियाँ विक्रय सम्वर्द्धन की विधियों का प्रयोग एक निर्माता द्वारा अपनी विक्रय शक्ति को अधिक विक्रय करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए भी किया जाता है। इसके अन्तर्गत अधिक विक्रय पर बोनस, कमीशन की दर में वृद्धि, पुरस्कार, पदोन्नति आदि उपायों का प्रयोग किया जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here