Generally, a wholesaler is called a person who buys goods with the intention that he will sell them to the retailers in bulk quantity. In other words, wholesaler means a trader who buys goods in large quantities from the manufacturer or producer and sells them to the retailers in small quantities as per their requirement. Thus, the wholesaler acts as an important link in the intermediary chain of transporting goods from producers to consumers. Therefore, a wholesaler is neither a producer nor a retailer.
(1) According to Manson and Rath, “A person or firm who buys goods and then resells them either to retailers for resell to consumers or to trading firms for industrial and commercial use.” , then such firm or person is called a wholesaler.”
(2) According to the Census Bureau of America, “All traders, representatives, collectors who mediate between producers on the one hand and retailers or users on the other are called wholesale institutions.”
(3) According to Hurley, “Wholesaler has marketing persons who occupy the position between the retailer and the producer or manufacturer. ,
(4) William J. According to Stanton (William J. Stanton), “Wholesale business includes the sale of products or services and all activities directly related to those who purchase them for the purpose of resale or commercial use.”
Characteristics of Wholesaler
The main characteristics of a wholesaler are as follows- (1) The wholesaler is neither a producer or a manufacturer nor a retailer, but his position is that of an intermediary between the two. (2) Wholesalers usually buy goods in cash from producers or manufacturers. (3) A choke seller deals in large quantities of goods. (4) He does not trade in many but only a few items. Thus he has a special business. (5) Instead of selling the goods directly to the consumers, he sells the goods only to the retail traders. (6) Goods are generally sold on credit. (7) Wholesale selling requires huge capital as it provides financial assistance to both the producer (or manufacturer) and the retailer. (8) The expenditure on advertisement and decoration of the shop etc. is less. (9) The yoke seller also often gives financial assistance to the manufacturers or producers when needed. (10) The wholesaler maintains a balance between demand and supply by helping in the marketing of goods.
Functions of Wholesaler
The main functions of a wholesaler in the business sector are as follows:
(1) Concentration of Goods – Wholesalers collect specific goods from different producers and centralize them.
(2) Dispersion of Goods – Wholesalers sell concentrated goods to different retailers. So they decentralize things.
(3) Financing – Wholesalers provide financial assistance by sending advance money to the producers and selling goods on credit to the retailers.
(4) Grading and Packing – Some wholesalers buy goods from different producers and do their grading, mark labeling and packing themselves.
(5) Warehousing. Yoke traders make arrangements for the storage of the collected goods, because some goods may be produced at a particular time, but their sale continues throughout the year, such as grain wholesalers.
(6) Pricing is fixed only. The final price of the goods in the market by the wholesalers
(7) Transport – Wholesalers get goods from manufacturers and provide the facility of transporting goods to retailers.
(8) Providing Informations – Choke also does the work of conveying merchant interest, fashion and other market information to the producers and retailers.
(9) मूल्य के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा (Safety against Fluctuations in the Price (Level)-थोक व्यापारी मूल्यों के भावी उतार-चढ़ावों पर नियन्त्रण करके मूल्यों में स्थायित्व लाने का प्रयत्न करता है, क्योंकि इनके पास माल का भारी मात्रा में संग्रह रहता है।
(10) बाजार सर्वेक्षण (Market Survey)-थोक विक्रेता वस्तु की माँग और पूर्ति के सम्बन्ध में पूरी जानकारी एकत्रित करता है।
थोक व्यापारी की सेवाएँ (Services of Wholesaler)
थोक विक्रेता, निर्माता व फुटकर विक्रेता को मिलाने वाली एक कड़ी है। अतः इनकी व्यापारिक जगत् में काफी उपयोगिता है। इस थोक विक्रेता द्वारा बहुत-सी सेवाएँ प्रदान की जाती है जिनके कारण इनका बना रहना न्यायोचित है। इन्हीं सेवाओं के कारण थोक विक्रेताओं के बने रहने का औचित्य भी है। थोक व्यापारी की सेवाओं को निम्न तीन भागों में बाँटा जा सकता है
निर्माता के प्रति सेवाएँ (Services to Producer )
उत्पादकों अथवा निर्माताओं के प्रति निम्न सेवाएं प्रदान करते हैं
(1) बिक्री का प्रबन्ध करना-थोक विक्रेता निर्माता के माल को बड़ी मात्रा में खरीदकर बेचने का प्रबन्ध करता है जिसके लिए वह अपने विक्रयकर्ता व अपना स्वयं का विक्रय संगठन रखता है जिससे निर्माता को अपना विक्रय संगठन अधिक बड़ा रखने की आवश्यकता नहीं रहती है।
(2) उधार जोखिम में कमी-थोक विक्रेता को अधिकतर माल नकद बेचा जाता है जिससे निर्माता की उधार सम्बन्धी जोखिम नहीं रहती है। यदि निर्माता फुटकर विक्रेता को उधार माल देता है तो उसकी जोखिम थोक विक्रेता की तुलना में अधिक रहती है क्योंकि भिन्न-भिन्न स्थानों पर बसे फुटकर विक्रेताओं की आर्थिक दशा का पता लगाना कठिन होता है।
(3) कम स्टॉक–चोक विक्रेता बड़ी मात्रा में वस्तुओं को खरीदते हैं अतः निर्माता को अपने यहाँ अधिक स्टॉक रखने की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार एक निर्माता के गोदाम सम्बन्धी व्ययों में कमी हो जाती है।
(4) विपणन व्ययों में कमी-निर्माता जब अपने माल को थोक विक्रेताओं के माध्यम से बेचता है तो उसका विपणन व्यय भी कम हो जाता है। इसका कारण यह है कि उसको अपना विपणन संगठन छोटा ही रखना पड़ता है।
(5) बाजार सूचनाएँ प्रदान करना-थोक विक्रेताओं का सम्बन्ध फुटकर विक्रेताओं से रहता है जो कि अन्तिम उपभोक्ताओं को वस्तुएँ बेचते हैं। अतः उपभोक्ता सम्बन्धी बाजारू सूचनाएँ फुटकर विक्रेता, थोक विक्रेता को बताता है जो उन सूचनाओं को निर्माताओं को भेज देता है जिससे कि वे अपने उत्पादन, मूल्य, विज्ञापन आदि की नीतियों में उन सूचनाओं को ध्यान में रखकर परिवर्तन कर लेते है।
(6) उत्पादन में सहायक-थोक व्यापारी उत्पादकों को बड़ी मात्रा में आदेश देते हैं, जिसको पूरा करने के लिए उत्पादकों को बड़े पैमाने पर उत्पादन करना पड़ता है।
(7) कीमत निर्धारण में सहायक-थोक व्यापारी उत्पादक को वस्तु की कीमत निर्धारण करने में सहायता प्रदान करते हैं, क्योंकि उनको यह मालूम होता है कि उपभोक्ता वस्तु की कितनी कीमत देगा।
(8) वित्तीय सहायता प्रायः थोक व्यापारी उत्पादकों से बड़ी मात्रा में माल खरीदकर नकद भुगतान करते हैं। कुछ उत्पादक थोक व्यापारियों से धरोहर के रूप में धनराशि लेते हैं। अतः योक व्यापारी उत्पादकों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
(9) कच्चे माल की सुविधा-कुछ थोक व्यापारी कच्चे माल का संग्रह करके उत्पादकों को बेच देते हैं। उत्पादकों को उनसे वस्तुएँ स्थगित भुगतान के आधार पर मिलती है।
(10) वितरण सुविधाएँ-थोक व्यापारी उत्पादकों से वस्तुएँ खरीदकर उन्हें वितरण की समस्या से मुक्त कर देते हैं क्योंकि थोक व्यापारी उत्पादक से स्वयं माल खरीदकर उसे फुटकर व्यापारी को उपलब्ध कराता है। वह उत्पादक को उपक्रम अधिक कुशलता से चलाने का अवसर प्रदान करता है।
(11) माँग विश्लेषण व पूर्वानुमान लगाना-थोक व्यापारी अपने विशिष्ट ज्ञान, अनुभव और बाजार में प्रत्यक्ष सम्बन्धों के आधार पर वस्तु की माँग से सम्बन्धित सूचनाएँ प्रदान करते हैं जिसके आधार पर माँग का पूर्वानुमान लगाकर उत्पादन किया जाता है।
(12) परिवहन सुविधा-थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में माल खरीदकर विक्रय भाड़े में बचत करता है। यदि उत्पादक सीधे फुटकर व्यापारी को माल बेचे तो परिवहन लागत अधिक होगी। इसके अतिरिक्त बड़ी मात्रा में माल बेचने पर पैकिंग, लेबलिंग व लेखांकन में भी मितव्ययिता होती है।
(13) विज्ञापन का लाभ-चोक व्यापारी जिन वस्तुओं का व्यवसाय करते हैं उनका विज्ञापन वे स्वयं करते हैं और उसका लाभ उत्पादकों को भी मिलता है।
(14) विदेशी बाजार-थोक व्यापारी बाजार में वस्तु की माँग उत्पन्न करते हैं और निर्यात व्यापार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उठाते हैं, जिससे उत्पादक की वस्तुओं का बाजार विदेशों तक विस्तृत होता है।
(15) संग्रह सुविधाएँ-थोक व्यापारी उत्पादकों को माल तैयार करने के लिए आदेश देते हैं और उत्पादक माल तैयार होते ही उसे थोक व्यापारियों को भेज देते हैं, अतः माल संग्रह के झंझटों से उत्पादक को मुक्ति मिलती है।
(II) फुटकर विक्रेता के प्रति सेवाएँ (Services to Retailer) फुटकर व्यापारियों के प्रति निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान करते हैं
(1) आवश्यकतानुसार माल की पूर्ति चोक विक्रेता, फुटकर विक्रेता को उनकी आवश्यकता के अनुसार माल उपलब्ध करा देता है और इस प्रकार फुटकर विक्रेता को अधिक स्टॉक रखने की आवश्यकता नहीं होती है।
(2) माल की पैकेजिंग करना-फुटकर विक्रेताओं की आवश्यकतानुसार माल को छोटे-छोटे पैकेटों व पार्सलों में वोक विक्रेता द्वारा पैक कर दिया जाता है जिससे फुटकर विक्रेताओं को छोटी-छोटी मात्रा में वस्तुओं को बेचने में आसानी रहती है।
(3) साख सुविधाएँ—योक विक्रेता द्वारा फुटकर विक्रेता को उधार माल देने की सुविधा दी जाती है। जब फुटकर विक्रेता उस माल को बेच लेता है तब उसका मूल्य योक विक्रेता को चुका देता है। इस प्रकार से थोक विक्रेताओं की सेवाओं का लाभ उठाते हैं।
(4) सूचना एवं सलाह देना-थोक विक्रेता एवं उसके विक्रयकर्ता उन वस्तुओं के सम्बन्ध में विशेषज्ञ समझे जाते हैं जिनमें वे क्रय-विक्रय कर रहे हैं। एक फुटकर विक्रेता को उन वस्तुओं के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ एवं उनके विक्रयकर्ता की सलाह भी मुफ्त में ही मिल जाती है।
(5) क्रय सुविधा देना-थोक विक्रेता द्वारा अपने ही विक्रयकर्ताओं के द्वारा यह सुविधा प्रदान की जाती है कि उसके विक्रयकर्ता फुटकर विक्रेता की दुकान तक पहुँचते हैं व माल का आदेश प्राप्त कर माल को भेजने का प्रबन्ध करते हैं। इस प्रकार एक फुटकर विक्रेता का अपनी ही दुकान पर माल जाता है और उसको थोक विक्रेता तक जाना भी नहीं पड़ता है। इस प्रकार क्रय सुविधा का कार्य योक विक्रेता द्वारा ही किया जाता है।
(6) जोखिम उठाना निर्माता या थोक विक्रेता द्वारा माल बिक्री के समय या ऋण से काफी पहले तात्कालिक मूल्यों पर खरीदा जाता है और इस बात की काफी सम्भावनाएँ रहती हैं कि फैशन या अन्य कारणों से बिक्री के समय मूल्य परिवर्तित हो जायें। इस प्रकार थोक विक्रेता स्टॉक रखने के कारण इस जोखिम को भी स्वयं उठाता है क्योंकि फुटकर विक्रेता तो आवश्यकतानुसार समय पर ही माल क्रय करता है।
(7) विभिन्न निर्माताओं से सम्पर्क की मुक्ति-फुटकर विक्रेता को एक ही थोक विक्रेता के यहाँ भिन्न-भिन्न निर्माताओं की वस्तुएँ मिल जाती हैं इसलिए उसको भिन्न-भिन्न निर्माता या योक विक्रेताओं से सम्पर्क स्थापित करने की आवश्यकता नहीं रहती है। इस प्रकार थोक विक्रेता फुटकर विक्रेता की सेवा करता है।
(III) समाज या उपभोक्ताओं के प्रति सेवाएँ (Services to Society or Consumers) (1) उपभोक्ता की रुचि के अनुसार वस्तुएँ उपलब्ध कराना-थोक विक्रेताओं के कारण उपभोक्ताओं को अपनी रुचि के अनुसार वस्तु मिल जाती है। साधारणतया थोक विक्रेता केवल उन्हीं वस्तुओं को अपने पास रखते हैं जिनकी माँग फुटकर विक्रेता करता है और फुटकर विक्रेता उन वस्तुओं की माँग करता है जिनको उपभोक्ता चाहता है। इस प्रकार उपभोक्ता को अपनी रुचि के अनुसार वस्तु मिल जाती है।
(2) विज्ञापन द्वारा जानकारी-चोक विक्रेता का विज्ञापन समाज को वस्तु की जानकारी देता है जिससे उसके ज्ञान में वृद्धि होती है।
(3) मूल्यों में स्थायित्व-थोक विक्रेता माँग व पूर्ति में समायोजन बैठाने का प्रयत्न करता है, जिससे औद्योगीकरण निश्चित गति से होता है व मूल्यों में स्थायित्व बना रहता है जिसका लाभ समाज को भी मिलता है।
(4) चुनाव की सुविधा-थोक विक्रेता द्वारा विभिन्न निर्माताओं की वस्तुओं को संग्रहीत किया जाता है जिससे फुटकर विक्रेताओं तथा उपभोक्ताओं को वस्तुओं के चुनाव करने में सुविधा रहती है।
(5) वृहत् उत्पादन को बढ़ावा-थोक विक्रेता द्वारा बड़ी-बड़ी मात्रा में क्रय करने के कारण निर्माता वृहत् उत्पादन करने के लिए बाध्य हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि अन्त में वस्तु की प्रति इकाई लागत घट जाती है जिससे उसके विक्रय मूल्य में कमी कर दी जाती है जिसका लाभ सम्पूर्ण समाज को मिलता है।
(6) विपणन अनुसन्धान के लाभ-थोक विक्रेता द्वारा विपणन अनुसन्धान कराया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप समाज को वस्तु यथास्थान एवं कम मूल्य पर मिल जाती है। इस प्रकार उपर्युक्त विवेचनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्तमान व्यावसायिक युग में थोक विक्रेताओं का एक महत्वपूर्ण योगदान है।
क्या थोक व्यापारी हटा दिये जायें ? (Should Wholesaler be Abandoned)
आधुनिक युग में कुछ आलोचकों का मत है कि योक व्यापारी उत्पादक और उपभोक्ता के मध्य खर्चीली एवं अनुपयोगी कड़ी है। अतः जनता एवं उत्पादकों के हित के लिए इसे हटा देना चाहिए। इसके निम्नलिखित कारण है
(1) वस्तु की कीमत में वृद्धि-थोक व्यापारी वस्तु की कीमत में अनावश्यक वृद्धि करते हैं।
(2) अधिक लाभ का उद्देश्य-थोक व्यापारियों द्वारा अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य के कारण न तो उत्पादकों को लाभ होता है और न ही उपभोक्ताओं के लिए लाभप्रद है।
(3) चोर बाजार को प्रोत्साहन-अधिकांश लोगों का मत है कि चोरबाजार थोक व्यापारी की देन है जिसके द्वारा वस्तुओं को छिपाकर, उसकी कृत्रिम कमी उत्पन्न कर, कीमतें बढ़ाकर माल बेचने का कार्य किया जाता है जिससे उत्पादक की प्रतिष्ठा को ठेस तथा उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
(4) फुटकर व्यापारियों व उत्पादकों के मध्य सीधा सम्पर्क स्थापित हो जाने से थोक व्यापारियों की आवश्यकता नहीं रह जाती है।
(5) विभागीय भण्डारों के विकास एवं प्रसार के कारण उपभोक्ताओं का उत्पादकों से सीधा सम्पर्क होता है जिससे थोक व्यापारी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।